Top 50 महाभारत भागवत गीता श्लोक हिंदी – महेंद्र कपूर
महाभारत Shloks hindi : BR Chopra ki महाभारत भागवत गीता श्लोक हमे हर पात्रता की सत्यता का वर्णन krte है और हमे सदैव सत्य और कर्मनिष्ठ के पथ पर चलने का सन्देश देते है jo ki mahnedra kapoor suprashid singer ke dwara gyae gye hai. In sholks mai Mahendra kapoor ne apne atma aur avaj ko pure nishtha se lgaya h. अत: ranjha lyrics translation आपको महाभारत (बी. र. चौपड़ा ) के हिंदी सीरियल से यहाँ कहानी aur bhagqat geeta ke sholks के संदेशो को आपके लिए लेकर आये है |
महाभारत भागवत गीता श्लोक हिंदी
Shlok -1
वचन दिया सोचा नहीं होगा क्या परिणाम
सोच समझकर कर कीजिये जीवन मै हर काम
Shlok – 2
आंखे देखे मोनू मुख सहा कहा नहीं जाए
लेख विधाता का लिखा कौन किसे समझाये
Shlok – 3
जीवन को समझा रहा जिया हुआ इतिहास
जब तक तन मै स्वास है तब तक मन मै आस
महाभारत भागवत गीता श्लोक हिंदी वर्णन
Shlok – 4
आस कह रही स्वास से धीरज धरना सीख
मांगे बिन मोती मिले मांगे मिले ना भीख
Shlok – 5
शत्रु धराशाही हुए यु आंधी के आर
है ये गंगा पुत्र का पहला ही संग्राम
Shlok – 6
नहीं नहीं होगा नहीं यह भीशन अन्याय
नीति प्रीति संघर्ष मै प्राण भले ही जाए
Shlok – 7
चंद्रा टरे सूरज टरे डिगे अडिग हिंवंत
देवव्रत का भीष्म व्रत रहे अखंड अनंत
Shlok – 8
साधन सुख के मन दुखी रहे अधूरी साथ
भूल ना पाता मन कभी मन माना अपराध
Shlok – 9
है अपराधी भावना मृत्यु कामना मूल
गया अग्निरथ रह गए शेष चिता के फूल
Shlok – 10
चली सुरक्षित सैन्य से हर्षित कन्या रत्न
प्रिया दर्शन की आस मै देखे सुन्दर स्वप्न
Shlok – 11
करुद्ध सर्प पीढ़ी बन गयी सुन्दर उपवन बेल
दोष किसी का क्या भला भाग्य खिलाये खेल
Shlok – 12
चंद्र वंश के चंद्र का असमय यह अवसान
सिंघाआसान सुना हुआ राजभवन सुनसान
Shlok – 13
माता यह संभव नहीं भीष्म करे व्रत त्याग
चाहे शीतल सूर्य हो बरसे शशि से आग
Shlok – 14
जीवन दाता एक है संदर्शि भगवान
जैसी जिसकी पात्रता वैसा जीवन दान 2
तमस रजस सत गुण वती माता प्रकृति प्रधान
जैसी जिसकी भावना वैसी ही संतान
Shlok – 15
सत्यवाती की साधना भीष्मव्रती का त्याग
जगे जिनके जतन से भरतवंश के भाग
Shlok – 15
धीर धुरंदर भीष्म का शिष्य धनुरधर वीर
उदित हुआ फिर चन्द्रमा अन्धकार को चीर
Shlok – 16
दे हंसकर वर को विदा वीर वधु की रीत
राजधर्म की नीत ये सत्राणी की प्रीत
Shlok – 17
दे आशीष ऋषि देव नें तुम्हे सदा वरदान
गौद भरे जुग जुग जिए भाग्यवंत संतान
Shlok – 18
सुख दुख मै समरस रहे जीवन वही महान
राजभवन या वन गमन दोनों एक समान
Shlok – 19
समय भूमि गोपाल की भूले ज़ब संसार
धर सुदर्शन चक्र की भरे भूमि का भार
Shlok – 20
नारी तेरे दुख मै नारायण दुखमंत
रो मत तेरी कोख मै आएंगे भगवंत
Shlok – 21
कृष्ण पक्ष की अष्ट्मी अर्ध रात्रि बुधवार
काराग्रह मै कंस के भयो कृष्ण अवतार 2
Shlok – 22
सिंह राशि के सूर्य है उदित उच्च के चंद्र
देवन दीनही धुनधुए तारमध्य स्वर मंत्र
Shlok – 23
देख नयोचावर हो रहे बरसे सोसो धार
चमकी दमक दामिनी कहे देखो मुख एक बार
Shlok – 24
जाने जमुना जग नहीं श्री हरी को अवतार
पवन पथ प्रसन चहि वही जमुन जल धार
धार मध्य वासुदेव ज़ब अकुलाये असहार
श्री हरी नें रवि सुताहित दियो चरण लटकाये
चहि कुमारी ननदनी आये नन्द कुमार
त्याग बिना संभव नहीं जीव जगत उद्धार
Shlok – 25
अत्याचारी कंश की कुमती बनी तलवार
अंत तुझे खा जायेगा तेरा अत्याचार
Shlok – 26
दया धर्म जब जब घटे बढ़े पाप अभिमान
तब तब जन्म ले जग पालक भगवान्
Shlok – 27
धीर धरो मा देवकी दूर ना दिन सुख मूल
अश्रु बनेंगे जननी के कल्प लता के फूल
Shlok – 28
मन मोहन की मोहनी है भरे अहम् अभिमान
माया को मोहित करे मोहन की मुस्कान
Shlok – 29
मावा माखन दूध दधी जगे ना इनमे ज्योत
ज्योत जगे घरत दीप मै घृत ना तपे बिन होत
Shlok – 30
नथियो विषधर का लिया निर्मल कर दो नीर
गुंजे जी मुरली मधुर जीवन जमुना तीर
Shlok – 31
पापि ह दोनो असुर अहंकार अभिमान
दोनो का मर्दन करे तत्स दिए भगवान